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डिप्थीरिया के कारण, लक्षण, प्रकार, रोकथाम और इलाज की सम्पूर्ण जानकारी

डिप्थीरिया नाक और गले में होने वाला एक अति गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण है, डिप्थीरिया एक से दूसरे व्यक्ति में आसानी से कोरोना की तरह फ़ैल सकता है, तो आज की इस पोस्ट में डिप्थीरिया क्या है, डिप्थीरिया के कारण और डिप्थीरिया की रोकथाम के ज़रूरी टिप्स जानेंगे इसके अलावा डिप्थीरिया के प्रकार, डिप्थीरिया के लक्षण और डिप्थीरिया से बचाव के उपाय की जानकारी को जानेंगे

डिप्थीरिया को एक उग्र संक्रामक रोग माना गया है ये रोग आमतौर से 2 वर्ष से लेकर 11 वर्ष की उम्र के बच्चों में अधिक होता है डिप्थीरिया का दूसरा नाम रोहिणी है लेकिन कुछ जगहों पर इसको गालाघोंटू बीमारी भी कहा जाता है, ये रोग किसी भी उम्र के मानव को हो सकता है.

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जानकारी के अनुसार डिप्थीरिया रोगियों का उपचार के बाद भी करीब #3 प्रतिशत रोगियों की मौत हो जाती हैं.

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डिप्थीरिया क्या है

डिप्थीरिया एक संक्रामक रोग होता है, जोकि कोराइन बैक्टीरियम डिप्थीरिया के कारण होता है जो कि मुख्यतः नाक और गले को संक्रमित करता है, इसके अलावा ये टॉक्सिन और अन्य अंगों को प्रभावित करता है, डिप्थीरिया का प्रकोप सामान्यत: उष्णकटिबंधीय इलाकों में अधिक होता है. 

वैसे तो डिप्थीरिया का इलाज के लिए मार्किट में तरह-तरह की दवाएं उपलब्ध हैं हालांकि इसका संक्रमण अधिक बढ़ने पर यह बीमारी किडनी, हृदय और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित भी कर सकती है. डिप्थीरिया के जीवाणु का नाम कॉरिनेबैक्टीरियम डिप्थीरिया  होता है जोकि विषाक्त पदार्थों का उत्पादन करने में सक्षम होता है. Recmanded Video

जब डिप्थीरिया के इलाज की दवाएं मार्केट में मौजूद नहीं थीं तब डिप्थीरिया बीमारी बड़े पैमाने पर लोगों में फैला हुई थी, हालाँकि मार्केट में इसकी दवाओं के साथ-साथ टीका आया और टीकाकरण के बाद से डिप्थीरिया के मामलों में कमी आयी, डिप्थीरिया का टीका का नाम डीपीटी होता है डीपीटी का फुल फॉर्म डिप्थीरिया पर्टुसिस टेटनस होता है.

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डिप्थीरिया के कारण

डिप्थीरिया बीमारी का मुख्य कारक इसके जीवाणु कॉरिनेबैक्टीरियम डिप्थीरिया को माना जाता है, यह प्राय: बिंदुसंक्रमण से तथा बच्चों द्वारा एक से दूसरे बच्चे की पेंसिल-लेखनी या अन्य वस्तुओं को मुँह में रख लेने से गले की श्लैष्मिक कला (mucosal art) में प्रविष्ट होकर वहाँ रोग उत्पन्न कर देता है.

इसके अलावा यह निम्नलिखित तीन कारकों से भी फ़ैल सकता है, डिप्थीरिया के तीन कारण निम्न प्रकार हैं-

1. हवा में मौजूद संक्रमित कीटाणु

यह तब होता है जब कोई डिप्थीरिया से ग्रसित व्यक्ति छींकता या खांसता है, क्योंकि छींकने से हवा में कीटाणुओं के उड़ने से संक्रमित पानी की सूक्ष्म बूंदें फ़ैल जाती हैं, जिससे आस-पास मौजूद लोगों के शरीर में साँस लेने से हवा में मौजूद कीटाणु शरीर के अंदर प्रवेश कर लेता है, जिससे डिप्थीरिया बीमारी फैलती है.

2. संक्रमित वस्तुओं से

संक्रमित व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल की गई चीजें के संपर्क में आने या उनके झूठे बर्तन में खाने-पीने से डिप्थीरिया फैल सकता है, इसीलिए होटल पर खाना खाते समय इस बात का ख़ास ध्यान रखें इसके अलावा मार्केट में जूस, लस्सी आदि अक्सर कांच के गिलास में ही सर्व की जाती हैं तो आप हमेशा कागज निर्मित गिलास का ही उपयोग करें. 

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3. संक्रमित घरेलु वस्तुओं से

जैसा की आप जान चुके हैं कि डिप्थीरिया एक बैक्टीरियल संक्रमण है, ये कुछ मामलों में घर में मौजूद वस्तुओं से भी फ़ैल सकता है- जैसे कि तौलिया, खिलोने, मोबाइल, रिमोट आदि  जिनमे सभी के इस्तेमाल करने से बैक्टीरिया पनपता है.

डिप्थीरिया के लक्षण

डिप्थीरिया के लक्षण (Symptoms of Diphtheria) निम्नलखित है, जिनमें ये शामिल हैं-

  1. डिप्थीरिया विकार के लक्षण संक्रमण फैलने से करीब दो से पांच दिन में दिखाई देते हैं, जिसमें  स्किन का हल्का रंग नीला पड़ने लगता है.
  2. डिप्थीरिया विकार का संक्रमण फैलने पर रोगी को सांस लेने में कठिनाई होती है, इस दौरान  गर्दन में सूजन भी हो सकती है और गले में दर्द होता है.
  3. डिप्थीरिया का संक्रमण फैलने के बाद रोगी को बुखार रहने लगता है, इसके अलावा रोगी बेचैन भी होती है.
  4. डिप्थीरिया संक्रमण में रोगी को खांसी आती है, साथ ही रोगी के खांसते समय अलग तरह की आवाज आती है.
  5. इस विकार के दौरान रोगी कमज़ोरी महसूस करता है.
  6. डिप्थीरिया में रोगी की ग्रंथियों में सूजन भी हो जाती है.   

रोगी में उपरोक्त लक्षणों के गंभीर होने पर उसके फेफड़ों तक ऑक्सीजन सही से नहीं पहुंच पाती है.

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डिप्थीरिया के प्रकार

डिप्थीरिया के मुख्त: दो प्रकार होते हैं- 

1- श्वसन- डिप्थीरिया के इस प्रकार में रोगी के प्रभावित अंग नाक-गले और टॉन्सिल शामिल होते हैं.

2- त्वचीय- त्वचीय डिप्थीरिया में रोगी की त्वचा प्रभावित होती है.

डॉक्टर डिप्थीरिया रोगी का टीकाकरण के बाद उसका एंटी-एलर्जी टेस्‍ट कर जांच करते हैं कि उसकी त्‍वचा एंटी-टॉक्सिन के प्रति संवेदनशील तो नहीं है.

डिप्थीरिया की रोकथाम

बालको में डिप्थीरिया की रोकथाम करने का सबसे प्रभावी उपाय सभी बच्चों को सक्रिय प्रतिरक्षण प्रदान करना है, भारत में यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) के तहत इसकी सिफ़ारिश की जाती है, सामान्यत: टीकाकरण अन्य टीकों जैसे कि डिप्थीरिया + पर्टुसिस + टेटनस टोक्साइड (डीपीटी) के टीके या डीपीटी + हैप बी + हिब वैक्सीन (पेंटावेलेंट वैक्सीन) के साथ मिलाकर भी दिया जाता है.

डिप्थीरिया-की-रोकथाम

यूआईपी में डीपीटी की 5 खुराकें लेने की सलाह दी जाती है जिसमें तीन खुराकें 6,10 और 14 सप्ताहों तथा दो बूस्टर ख़ुराक: एक बूस्टर ख़ुराक 16 से 24 महीने की अवस्था एवं दूसरी बूस्टर ख़ुराक 5 से 6 वर्ष की अवस्था में रोगी को दी जाती है, यदि किसी बच्चे को डीपीटी में होने वाले पर्टुसिस टीके के घटक से परेशानी होती है तो पेडियाट्रिक डीटी का टीका दिये जाने की सलाह दी जाती है.

किशोरों और वयस्कों को अधिकतर डिप्थीरिया का इलाज के लिए टिटनेस टोक्साइड के साथ कम मात्रा में डिप्थीरिया टोक्साइड दिया जाता है, भारत में Universal Immunization Programme (UIP) के तहत चयनित राज्यों में पेंटावेलेंट वैक्सीन का उपयोग भी किया जाता है.

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World Health Organization (WHO) ने टीकाकरण रहित 7 वर्ष की अवस्था तथा उससे अधिक आयु के बच्चों के लिए सलाह दी है कि दो खुराकें एक से दो महीनों के बीच और तीसरी खुराक छह से बारह महीनों के बाद दी जानी चाहिए,इसके बाद बूस्टर डोज़ को लम्बे समय तक सुरक्षा प्रदान करने के लिए कम से कम एक वर्ष के गैप पर पांच मर्तवा दी जा सकती है.

डिप्थीरिया से बचने के लिए घरेलू नुस्खे

डिप्‍थीरिया रोगी का श्‍वसन मार्ग बुरी तरह से प्रभावित हो जाता है, इसकी वजह से रोगी को  भूख कम लगना, बुखार आना, गले में खराशें होना, सिरदर्द रहना, गर्दन में सूजन होना और हमेशा बैचैनी होती है, तो इन सब समस्याओं से राहत पाने के लिए रोगी निम्नलिखित घरेलू नुस्‍खों को अपना सकते हैं.

1. अनानास जूस से

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डिप्थीरिया का इलाज करने के लिए आप अनानास का ताजा रस जूस पी सकते हैं इससे गले में जो भी कुछ जमा होता है सब निकल जाता है जिससे संक्रमण के लक्षणों में कमी आती है, क्योंकि अनानास में बीटा-कैरोटीन मौजूद होता है इसलिए ये डिप्थीरिया में असरकारी घरेलु नुस्खा माना जाता है.

2. तुलसी के पत्ते

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तुलसी की पत्तियां हर्बल गुणों से भरपूर होती हैं, इसलिए अगर डिप्थीरिया रोगी तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल करता है तो उसे निश्चित डिप्थीरिया विकार से आराम मिल सकता है आयूर्वेदाओं के अनुसार करीब 5-10 तुलसी के ताज़ा पत्ते लेकर उनको 1 गिलास पानी में डालकर गर्म करें इसके बाद उस पानी को छानकर पीने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं.  

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3. नमक के पानी से गरारे

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आयुर्वेद के अनुसार नमक युक्त गुनगुने पानी से डिप्थीरिया के मरीज को गरारे करने से अत्यधिक आराम मिलता है इसलिए डिप्थीरिया विकार में नमक के गुनगुने पानी से गरारे अवश्य करें, इसके लिए आप करीब एक गिलास पानी लें और उसमे करीब आधा चम्मच आयोडीन नमक डालकर पानी को गुनगुना करके गरारे कर सकते हैं, इससे गाला खुल जायेगा.

4. अदरक, निम्बू और शहद

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अदरक, निम्बू और शहद का इस्तेमाल भी डिप्थीरिया में काफी असरकारी नुस्खा माना जाता है, इसके लिए आप आधा चम्मच अदरक के जूस में एक चम्मच नींबू का जूस मिला दें फिर अदरक को कूदकर जूस निकालें, एक चम्मच अदरक के जूस में एक चम्मच निम्बू जूस और शहद मिला दें, इसे कुछ दिनों तक नियमित इस्तेमाल करने से आराम मिल सकता है.

5. अंरडी की पत्तियां

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डिप्थीरिया विकार में अरंडी की पत्तियां काफी असरकारी मानी गयी हैं, चूँकि इनमें एंटी-इंंफ्लामेट्री और एंटी-माइक्रोबियल गुण मौजूद होते हैं, जोकि डिप्‍थीरिया में रामबाण काम करती हैं इसके लिए आप 2-3 अरंडी की पातियाँ लें (चूँकि ये काफी बड़ी आकर की होती हैं) फिर इसमें लहसुन का रस डालकर पेस्ट बना लें, अब इस पेस्ट को सूंघे इससे नासा मार्ग खुलेगा और डिप्थीरिया विकार से राहत मिलेगी.

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Question 1 : डिप्थीरिया की खोज किसने की?

Answer : डिप्थीरिया की खोज कलेबस व बजरनिक ने सन 1883 में की थी.

Question 2 : डिप्थीरिया के जीवाणु का नाम क्या है?

Answer : डिप्थीरिया के संक्रामक जीवाणु का नाम कॉरिनेबैक्टीरियम डिप्थीरिया होता है, जोकि मुख्त: टॉन्सिल, नाक, गले और त्वचा को प्रभावित करता है.

Question 3 : डिप्थारिया में क्या नहीं खाना चाहिए?

Answer : डिप्थीरिया विकार से ग्रसित रोगी को प्रोसेस्ड फ़ूड, जंक फ़ूड और अत्यधिक मसालेदार खाने से दूर रहने की सलाह दी जाती है.

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डिस्क्लेमर : इस पोस्ट में दी गई सभी जानकारी घरेलू उपायों और सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं इसमें बताये गए सभी नुस्खे और टिप्स को अपनाने से पहले आप चिकित्सकीय परामर्श अवश्य लें घरेलू नुस्खा इसकी पुष्टि नहीं करता है.

निष्कर्ष

तो इस पोस्ट में आपने जाना कि डिप्थीरिया क्या है, डिप्थीरिया के कारण क्या होते हैं और डिप्थीरिया के लक्षण को जाना इसके अलावा डिप्थीरिया के प्रकार, डिप्थीरिया की रोकथाम और डिप्थीरिया से बचने के लिए 5 घरेलू नुस्खों को जाना उम्मीद है आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आयी होगी.

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